आज Internet Banking को सुरक्षित करने के ऐसे ही कुछ तरीकों की चर्चा करते हैं।
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नियमित तौर पर बदलें अपना पासवर्ड
समय-समय पर अपने Internet Banking का पासवर्ड बदलते रहें।
अपने पासवर्ड को हर बार गोपनीय रखें और उसे किसी के साथ साझा ना करें।
अगर आप कई बैंक अकाउंट के नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो अपने सभी पासवर्ड को कभी भी एक जगह ऑनलाइन सुरक्षित न रखें।
इन पासवर्ड्स को कहीं किसी डायरी में सुरक्षित रखना ज्यादा अच्छा रहेगा।
पब्लिक कंप्यूटर पर Internet Banking का इस्तेमाल न करें
जहां तक संभव हो तो साइबर कैफे या लाइब्रेरी जैसी जगहों के कंप्यूटर पर Internet Banking करने से बचें।
ऐसी जगहें भीड़भाड़ वाली होती हैं और एक कंप्यूटर कई लोगों द्वारा इस्तेमाल भी किया जाता है।
ऐसे में दूसरों के द्वारा आपके पासवर्ड के देखने और चोरी किए जाने का जोखिम बढ़ जाता है।
अगर ज्यादा जरूरत है तो ऐसे कंप्यूटर से ब्राउजिंग हिस्ट्री और टेंपरेरी फाइल डिलीट करना कभी न भूलें।
इसके अलावा लॉगइन करते समय किसी भी ब्राउज़र में 'रिमेंबर आईडी एंड पासवर्ड' के ऑप्शन पर क्लिक न करें।
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नेट बैंकिंग से जुड़ी जानकारी किसी से शेयर न करें
बैंक कभी भी आपके ATM PIN, जन्मतिथि जैसी गोपनीय और निजी जानकारी की सूचना फोन या ईमेल के जरिए नहीं पूछता है।
इस संबंध में लगातार बैंक SMS अलर्ट भी भेजते हैंं।
अपनी लॉगइन आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल बैंक के आधिकारिक साइट पर ही करें और यह एक सुरक्षित वेबसाइट होनी चाहिए।
इस बात पर गौर करें कि यूआरएल में 'https://'लिखा हो। इसका मतलब होता है कि वेबसाइट सिक्योर है।
हमेशा इंटरनेट बैंकिंग का URL ही टाइप करें
इंटरनेट बैंकिंग के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए जरूरी है कि ब्राउज़र के एड्रेस बार में जाकर अपने बैंक का URL टाइप करें।
कभी भी ईमेल में भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें।
फर्जीवाड़े के लिए हैकर्स बैंक की ओरिजिनल वेबसाइट जैसी साइट डिजाइन कर वही लिंक ईमेल से भेजते हैं।
अगर आप ऐसी किसी फर्जी वेबसाइट पर एक बार लॉगइन करते हैं तो आपका अकाउंट हैक कर पैसे चुराए जा सकते हैं।
सोमवार, 31 अक्तूबर 2016
Secure your bank
ये कभी न करे
आज हम आपको बताते हैं कि मोबाइल में इन चीजों को SAVE नहीं करो –
मोबाइल में इन चीजों को SAVE नहीं करो –
1. मोबाइल में ना रखें बैंक अकाउंट की जानकारी
सबसे पहले तो याद रखें कि यदि आप अपने मोबाइल में कहीं भी और कैसे भी बैंक अकाउंट की जानकारी रखते हैं तो उसे आज ही मोबाइल से गायब कर दें. इस तरह की जानकारी मोबाइल में रखना खतरे से खाली नहीं होता है.
2. कई लोग तो एटीएम पिन भी यही रखते हैं
कुछ लोग खुद को इतना चालाक समझते हैं कि वह मोबाइल के किसी फोल्डर में एटीएम पिन तक save कर लेते हैं. कई बार ऐसा होता है कि मोबाइल के साथ आपका एटीएम कार्ड भी कहीं गिर सकता है या किसी के हाथ लग सकता है तब आप पूरी तरह से कंगाल हो सकते हैं.
3. मोबाइल में ना save करें अकाउंट या पासबुक की फोटो
यह गलती भी हमसे अक्सर हो जाती है कि हम इमेज गैलरी में अपने बैंक अकाउंट डिटेल्स की फोटोज save रखते हैं और कई बार इससे हम बुरी तरह परेशान हो जाते हैं. आप यहाँ तक कि बैंक से जुड़ी किसी भी जानकारी को मोबाइल में ना रखें.
4. मोबाइल से ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल्स समय-समय पर हटाते रहें
आपका मोबाइल ही आपकी जान है और इसलिए अक्सर आप अपना ऑनलाइन बैंक अकाउंट भी इसी पर खोलते हैं और उसे इसी तरह से ऑन भी छोड़ देते हैं. या फिर मोबाइल में जो बैंक App है उसके द्वारा ऑनलाइन बैंकिंग के भी मजे लेते हैं. लेकिन यह आनंद कभी भी आप पर भारी पड़ सकता है.
5. whatsApp पर अधिक जानकारी शेयर और सेव ना करें
आप एक बात का विशेष ध्यान रखें कि whtsup अब आपकी सभी जानकारी को लिक कर सकता है. यहाँ आपको किसी भी तरह की प्राइवेसी नहीं मिलती है. अच्छा रहेगा कि आप यहाँ कुछ भी save और शेयर न करें.
6. पैन कार्ड और आधार कार्ड भी ना save करें
आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आप अपने मोबाइल के अन्दर पैन कार्ड और आधार कार्ड की जानकारी या फोटो भी सेव ना रखें. इन चीजों की फोटो लेने के बाद इनका उपयोग गलत जगह किया जा सकता है.
इस तरह से मोबाइल में इन चीजों को SAVE नहीं करो – इन 6 चीजों की जानकारी आपको कभी भी अपने मोबाइल में save नहीं करनी चाहिए. आपका मोबाइल कभी भी आपसे दूर हो सकता है और तब इन चीजों का उपयोग गलत रूप से किया जा सकता है.
इसलिए मोबाइल में इन चीजों को SAVE नहीं करe
सोमवार, 17 अक्तूबर 2016
सही खरीदारी
कुछ लोग सही गैजेट के चयन के लिए ऑनलाइन साइटों पर फोन और लैपटॉप के रिव्यू भी पढ़ते हैं लेकिन ये रिव्यू पेड भी हो सकते हैं, जिससे यूजर को बाद में अपनी पसंद पर पछतावा करना पड़ सकता है। जानिए गैजेट खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
फोन के फीचर जरूर परखें
1.डिसप्ले का रेजोल्यूशन
आमतौर पर लोग बड़े डिसप्ले वाला फोन खरीदना पसंद करते हैं लेकिन वे इसके रेजोल्यूशन पर ध्यान नहीं देते। कम कीमत में एचवीजीए और वीजीए रेजोल्यूशन वाले फोन बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन डिसप्ले क्वालिटी के मामले में ये कमजोर होते हैं। ऐसे में बजट ठीक-ठाक है तो बड़ी स्क्रीन के साथ-साथ यह भी देखें कि फोन में1920*1080 या इससे अधिक रेजोल्यूशन का फुल एचडी डिसप्ले है या नहीं। इससे फोन पर गेम खेलने और वीडियो देखने का अनुभव बेहतर हो जाता है। यह भी सुनिश्चित करें कि डिसप्ले को खरोंच से बचाने के लिए उस पर गोरिल्ला ग्लास का सुरक्षा कवच चढ़ाया गया है या नहीं।
2.प्रोसेसर और रैम
स्मार्टफोन बाजार में ऑक्टाकोर प्रोसेसर से लैस फोन भारी तादाद में मौजूद हैं लेकिन इनमें से अधिकतर फोन की रैम प्रोसेसर के हिसाब से कम होती है। अगर फोन का प्रोसेसर अच्छा है तो रैम भी अधिक होनी चाहिए। क्वाडकोर प्रोसेसर वाला फोन खरीद रहे हैं तो उसमें 2 जीबी रैम होने से फोन की स्पीड अच्छी रहेगी। वहीं, ऑक्टाकोर प्रोसेसर का चयन कर रहे हैं तो कम से कम 3 जीबी रैम वाला फोन खरीदें। क्वाडकोर में चार प्रोसेसर और ऑक्टाकोर में आठ प्रोसेसर होते हैं।
3.स्टोरेज जरूर देखें
कंपनियां स्मार्टफोन में जितनी इंटरनल मेमोरी देती हैं, उतनी यूजर को इस्तेमाल के लिए नहीं मिल पाती है। 8 जीबी स्टोरेज वाले फोन में यूजर लगभग 6.2 जीबी और 16 जीबी वाले फोन में करीब 12.4 जीबी मेमोरी का ही प्रयोग कर पाते हैं क्योंकि बाकी मेमोरी फोन में पहले से मौजूद एप घेरे होते हैं। इसके अलावा अधिक इंटरनल मेमोरी वाले फोन में यह देखें कि इसमें मेमोरी कार्ड स्लॉट दिया गया है या नहीं।
4.कैमरा क्वालिटी
-अधिक मेगापिक्सल के कैमरे के लालच में आकर अक्सर लोग फोन खरीद लेते हैं, जबकि अच्छी फोटो खींचने के लिए मेगापिक्सल के साथ-साथ कैमरे के सेंसर और अन्य फीचर भी बहुत मायने रखते हैं। मिसाल के तौर पर आईफोन में 8 मेगापिक्सल का कैमरा मौजूद है, जो 6,000 रुपये तक के कई बजट फोन में भी आसानी से मिल जाता है लेकिन एलईडी फ्लैश, ऑटोफोकस और तमाम सेंसर की कमी के चलते ये फोन आईफोन की बराबरी नहीं कर पाते। फोन कैमरे का अपर्चर भी अच्छा होना चाहिए, ताकि कम रोशनी में बेहतरीन तस्वीरें खींची जा सकें।
5.ऑपर्रेंटग सिस्टम और बैटरी
गूगल अपना एंड्रॉयड नॉगेट ऑपरेटिंग सिस्टम पेश कर चुका है। हालांकि यह अभी कुछ ही फोन में आया है लेकिन यूजर चाहें तो लॉलीपॉप या मार्शमेलो से लैस हैंडसेट भी बेफिक्र होकर खरीद सकते हैं। यही नहीं, फोन की बैटरी पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है। बैटरी जितने अधिक एमएएच की होगी, उतना बेहतर रहेगा। ऑपरेटिंग सिस्टम भी फोन की बैटरी खपत को प्रभावित करता है, इसलिए मार्शमेलो या लॉलीपॉप ऑपरेटिंग सिस्टम का चयन करें, जो कम बैटरी खाते हैं।
लैपटॉप में ये खूबियां जरूरी
1.स्टोरेज और यूएसबी पोर्ट
-बाजार में 500 जीबी से 1 टेराबाइट तक की स्टोरेज क्षमता वाले लैपटॉप अधिक संख्या में मौजूद हैं। रोजमर्रा के काम के लिए इतनी स्टोरेज काफी होगी। कई कंपनियां मुफ्त में क्लाउड स्टोरेज भी उपलब्ध करा रही हैं। 20 से 30 हजार रुपये की कीमत में इतने स्टोरेज वाले लैपटॉप के कई विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा लैपटॉप में बेहतरीन बैटरी और कम से कम 3 यूएसबी पोर्ट होने चाहिए।
2.प्रोसेसर और रैम
-लैपटॉप में इंटेल और एएमडी के प्रोसेसर अधिक इस्तेमाल होते हैं। अगर आपका बजट ठीक है तो कम से कम इंटेल का कोर आई-3 प्रोसेसर वाला लैपटॉप खरीदें। इससे कम कोर वाले प्रोसेसर का लैपटॉप न लें। 25 से 30 हजार रुपये की कीमत में इस प्रोसेसर के कई लैपटॉप हैं। अगर बजट और अधिक है तो इंटेल का आई-5 कोर प्रोसेसर बेहतर रहेगा। एएमडी के एपीयू प्रोसेसर पर विचार किया जा सकता है। आजकल 4 जीबी रैम वाले लैपटॉप का चलन अधिक है। इससे कम रैम होने पर सिस्टम हैंग होने की शिकायत सता सकती है। अगर भारी गेम या ग्राफिक्स के शौकीन हैं तो जीपीयू और 4 जीबी से अधिक रैम वाला लैपटॉप लेने फायदे का सौदा साबित होगा।
3.डिसप्ले
-15.6 इंच के डिसप्ले वाले लैपटॉप उपभोक्ताओं के बीच अधिक लोकप्रिय हैं। इससे बड़े डिसप्ले वाले लैपटॉप को लाने और ले जाने में दिक्कत आ सकती है। कई सस्ते लैपटॉप में 11.6 इंच की स्क्रीन दी गई होती है। बजट अधिक है तो कम से कम 13 इंच से बड़ा लैपटॉप जरूर लें। डिसप्ले का रेजोल्यूशन कम से कम 1920७108 पिक्सल हो तो बेहतर रहेगा।
ऑफर की असलियत एेसे जानें
कई ई-कॉमर्स सा
Customer reviews को पढ़े
Customer द्वारा दिए गए stars को देखे
तो आपको समझ आ जायेगा की प्रोडूक केसा है
शनिवार, 15 अक्तूबर 2016
फ्री टीवी फोन पर
अब मोबाईल उपभोक्ता अपने मोबाईल पर इंटरनेट चलाए बिना 20 चैनल देख सकते हैं। जिसमें दूरदर्शन के टाॅप चैनल्स और निजी कंपनियों के चैनल देख सकेंगे। फ्री टू एयर चैनल्स भी इसमें शामिल होंगे।
डीवीबी टी तकनीक का होगा इस्तेमाल
मोबाइल पर बिना इंटरनेट के 20 फ्री टू एयर चैनल्स दिखाने के लिए दूरदर्शन डीवीबी टी2 (डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्ट टेरेस्ट्रायल) तकनीक का इस्तेमाल करेगा, जिसे फिलहाल डोंगल की सहायता से एक्सेस कर सकेंगे। डीवीबी टी टीवी टावरों से सिग्नल प्राप्त करेगा और इस दौरान मोबाइल पर टीवी देखते समय इंटरनेट की जरूरत नहीं पडे़गी।
ऐप की सहायता से प्रसारण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ऐप मोबाइल फोन्स में टीवी को ऑन करने के लिए एक स्विच की तरह काम करेगा। डिजिटल टेरेस्ट्रायल यूरोप में काफी प्रचलित है।
मोबाइल फोन में ही इनबिल्ट हो सकेगा डोंगल
हर उपभोक्ता अपने मोबाइल में एक डोंगल की मदद से चैनल्स देख पाएंगे। सैमसंग, एप्पल, माइक्रासॉफ्ट और एचसीएल जैसी कंपनियां अपने फोन्स में ही उस डोंगल को इनबिल्ट कर सकेंगी जैसे कि एफएम रेडियो चैनल्स के लिए वे करती हैं।
प्रसार भारती ने इस योजना का ब्लूप्रिंट तैयार करके सूचना एवं प्रसार मंत्रालय को भेज दिया है। फिलहाल दिल्ली के ट्रांसमीटरों की मदद से इनहाउस टेस्ट किया जा रहा है।
डीवीबी टी 2 तकनीक क्या है?
डीवीबी टी 2 तकनीक डिजिटल टेरेस्ट्रायल टेलीविजन प्रणाली की सबसे आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक के तहत डिजिटल ऑडियो, वीडियो और अन्य डाटा को कंप्रेस्ड करके प्रसारित किया जाता है। इसमें वीडियो और ऑडियो की हाई क्वालिटी होती है। यह तकनीक किसी भी अन्य डिजिटल टेरेस्ट्रायल टेलीविजन प्रणाली के मुकाबले 50 फीसदी अधिक प्रभावी और फ्लेक्सिबल है। यह एचडी, एसडी, यूएचडी और मोबाइल टीवी को सपोर्ट करता है।
तकनीक का विकास
मार्च 2006 में डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग ने डीवीबी टी स्टैंडर्ड के एक अपग्रेडेड विकल्प पर अध्ययन करने का निर्णय लिया था। फिर जून 2006 में एक अध्ययन ग्रुप टीएम टी2 (टेक्निकल माड्यूल ऑन नेकस्ट जनरेशन डीवीबी टी) बनाया गया, जिसका मकसद एक आधुनिक माड्यूलेशन स्कीम विकसित करना था ताकि दूसरी पीढ़ी के डिजिटल टेरेस्ट्रायल टीवी स्टैंडर्ड उसे अपना सकें। फिर 26 जून 2008 को डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग परिचालन बोर्ड ने डीवीबी टी2 के मसौदे को मंजूर किया। इसके बाद उसे यूरोपियन टेलीकम्युनिकेशंस स्टैंर्ड्स इंस्टीट्यूट (ईटीएसआई) को दे दिया गया। ईटीएसआई की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप 9 सितंबर 2009 को टीवीबी टी2 स्टैंडर्ड को अपना लिया गया।
इन देशों में होता है इस्तेमाल
2014 से इस तकनीक का इस्तेमाल यूके, इटली, फिनलैंड, स्वीडेन, थाईलैंड, सर्बिया, यूक्रेन, क्रोएशिया, डेनमार्क समेत अन्य कुछ देशों में होता है।