शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

फ्री टीवी फोन पर

अब मोबाईल उपभोक्ता अपने मोबाईल पर इंटरनेट चलाए बिना 20 चैनल देख सकते हैं। जिसमें दूरदर्शन के टाॅप चैनल्स और निजी कंपनियों के चैनल देख सकेंगे। फ्री टू एयर चैनल्स भी इसमें शामिल होंगे।

डीवीबी टी तकनीक का होगा इस्तेमाल

मोबाइल पर बिना इंटरनेट के 20 फ्री टू एयर चैनल्स दिखाने के लिए दूरदर्शन डीवीबी टी2 (डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्ट टेरेस्ट्रायल) तकनीक का इस्तेमाल करेगा, जिसे फिलहाल डोंगल की सहायता से एक्सेस कर सकेंगे। डीवीबी टी टीवी टावरों से सिग्नल प्राप्त करेगा और इस दौरान मोबाइल पर टीवी देखते समय इंटरनेट की जरूरत नहीं पडे़गी।

ऐप की सहायता से प्रसारण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ऐप मोबाइल फोन्स में टीवी को ऑन करने के लिए एक स्विच की तरह काम करेगा। डिजिटल टेरेस्ट्रायल यूरोप में काफी प्रचलित है।

मोबाइल फोन में ही इनबिल्ट हो सकेगा डोंगल

हर उपभोक्ता अपने मोबाइल में एक डोंगल की मदद से चैनल्स देख पाएंगे। सैमसंग, एप्पल, माइक्रासॉफ्ट और एचसीएल जैसी कंपनियां अपने फोन्स में ही उस डोंगल को इनबिल्ट कर सकेंगी जैसे कि एफएम रेडियो चैनल्स के लिए वे करती हैं।

प्रसार भारती ने इस योजना का ब्लूप्रिंट तैयार करके सूचना एवं प्रसार मंत्रालय को भेज दिया है। फिलहाल दिल्‍ली के ट्रांसमीटरों की मदद से इनहाउस टेस्ट किया जा रहा है।

डीवीबी टी 2 तकनीक क्या है?

डीवीबी टी 2 तकनीक डिजिटल टेरेस्ट्रायल टेलीविजन प्रणाली की सबसे आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक के तहत डिजिटल ऑडियो, वीडियो और अन्य डाटा को कंप्रेस्ड करके प्रसारित किया जाता है। इसमें वीडियो और ऑडियो की हाई क्वालिटी होती है। यह तकनीक किसी भी अन्य डिजिटल टेरेस्ट्रायल टेलीविजन प्रणाली के मुकाबले 50 फीसदी अधिक प्रभावी और फ्लेक्सिबल है। यह एचडी, एसडी, यूएचडी और मोबाइल टीवी को सपोर्ट करता है।

तकनीक का विकास

मार्च 2006 में डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग ने डीवीबी टी स्टैंडर्ड के एक अपग्रेडेड विकल्प पर अध्ययन करने का निर्णय लिया था। फिर जून 2006 में एक अध्ययन ग्रुप टीएम टी2 (टेक्निकल माड्यूल ऑन नेकस्ट जनरेशन डीवीबी टी) बनाया गया, जिसका मकसद एक आधुनिक माड्यूलेशन स्कीम विकसित करना था ताकि दूसरी पीढ़ी के डिजिटल टेरेस्ट्रायल टीवी स्टैंडर्ड उसे अपना सकें। फिर 26 जून 2008 को डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग परिचालन बोर्ड ने डीवीबी टी2 के मसौदे को मंजूर किया। इसके बाद उसे यूरोपियन टेलीकम्युनिकेशंस स्टैंर्ड्स इंस्टीट्यूट (ईटीएसआई) को दे दिया गया। ईटीएसआई की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप 9 सितंबर 2009 को टीवीबी टी2 स्टैंडर्ड को अपना लिया गया।

इन देशों में होता है इस्तेमाल

2014 से इस तकनीक का इस्तेमाल यूके, इटली, फिनलैंड, स्वीडेन, थाईलैंड, सर्बिया, यूक्रेन, क्रोएशिया, डेनमार्क समेत अन्य कुछ देशों में होता है।

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